डूबता देख के तूफां में सफीना अपना,
दोस्त आये हैं कि ठंडा करें सीना अपना|
छोड़कर शहर को जंगल में गुजारे सावन,
साल भर में है यही एक महिना अपना|
चार-सू गूँज रही है ये सदा बस्ती में,
रहियो हुश्यार कि दुश्मन है कमीना अपना|
तुम वो मुख्तार कि मुर्दों को जिला देते हो,
हम वो मजबूर कि मरना है न जीना अपना|
कोई सुनता नहीं दुनिया में फुगाने-दरवेश,
वही दावर है कि हक जिसने है छीना अपना|
रह गई पास फकत दौलते-इखलास 'हमीद'
बह गया सैले-हवादिस में दफीना अपना||
मुख्तार=अधिकर्ता
फुगाने-दरवेश=सन्यासी की दुहाई
दावर=न्यायकर्ता
दौलते-इखलास=निश्छलता की दौलत
सैले-हवादिस=दुर्घटनाओं की बाढ़
दफीना=गड़ा हुआ खजाना
दोस्त आये हैं कि ठंडा करें सीना अपना|
छोड़कर शहर को जंगल में गुजारे सावन,
साल भर में है यही एक महिना अपना|
चार-सू गूँज रही है ये सदा बस्ती में,
रहियो हुश्यार कि दुश्मन है कमीना अपना|
तुम वो मुख्तार कि मुर्दों को जिला देते हो,
हम वो मजबूर कि मरना है न जीना अपना|
कोई सुनता नहीं दुनिया में फुगाने-दरवेश,
वही दावर है कि हक जिसने है छीना अपना|
रह गई पास फकत दौलते-इखलास 'हमीद'
बह गया सैले-हवादिस में दफीना अपना||
मुख्तार=अधिकर्ता
फुगाने-दरवेश=सन्यासी की दुहाई
दावर=न्यायकर्ता
दौलते-इखलास=निश्छलता की दौलत
सैले-हवादिस=दुर्घटनाओं की बाढ़
दफीना=गड़ा हुआ खजाना